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4 Responses to “‘कॉमनवेल्थ गेम्ज’ और राजभाषा हिंदीं”


  1. दिन-प्रतिदिन भारत के काले अंग्रेज कुछ न कुछ नये प्रकार की मानसिक गुलामी का प्रदर्शन करते रहते हैं। आजकल इनकी मनमानी कुछ ज्यादा ही बढ़ चली है।
    आवश्यकता है कि आप जैसे हजारों लोग सामने आयें और इन्हें बात-बात पर टोका जाय; समुचित विरोध हो; सुधार करने के लिये दबाव डाला जाय। भले लोगों की चुप्पी ज्यादा घातक है।

    आपका प्रस्तावित प्रतीकचिन्ह यथेष्ट है। किसी स्वाभिमानी देश में तो यह होता कि देवनागरी (अपनी लिपि) का प्रतीक चिन्ह अंग्रेजी के प्रतीक चिन्ह से बड़ा रखा जाता।

  2. mkvairagi Says:

    very shamful we indian do not respect/prais our own language


  3. आपका कहना सही है। लेकिन जहाँ राज्य और देश की सरकारें ही संविधान को नहीं मानतीं वहाँ क्या उम्मीद करें। पता नहीं इस देश में ही ऐसी गुलामी इस तरह से क्यों है। दुनिया में और 200 से अधिक देश हैं।


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