“सरकार का काम” – कविता : एक प्रयोग
जुलाई 13, 2017
मुझे, तुझे, हम सब को चाहिए सुरक्षा,
सुरक्षा मुहैया कराना सरकार का काम।
मेरी, तेरी, हमारी कोई जिम्मेवारी नहीं,
सुरक्षा करना-कराना सरकार का काम।
हम घर खुला छोड़ दें चल दें कहीं भी
चोरी न हो, उसे रोकना सरकार का काम।
कान में फोन लगाए रेल-पटरी पार करें
तब हमें चेताना-बचाना सरकार का काम
नदी-सागर के बीच सेल्फी लेने लगें हम
अनहोनी से बचाना भी सरकार का काम
उड़ा नियमों की धज्जी वाहन चलाएं हम,
फिर कहें हादसे रोकना सरकार का काम।
सड़कपै बेखौफ वाहन चलाएं लगाएं जाम,
जाम से निजात दिलाना सरकार का काम।
बात-बात पै गुस्से से नुकसान पहुंचाएं हम
उसका मुआवजा भरना सरकार का काम।
सड़क पर कचरा बिखेरें ये हमारी मरजी,
सड़क साफ रहे यह तो सरकार का काम।
पान खाएं पीक थूकें जहां-तहां सड़क पर
सड़क की धुलाई करना सरकार का काम
किस-किस की छूट मिले कहना है मुश्किल
मनमरजी से जीने दे यही सरकार का काम
गैरजिम्मेवारी से जीना हमारा अधिकार है
सुरक्षा का इंतजाम तो है सरकार का काम।
हम आज़ाद हैं करें कुछ भी मरजी हमारी
हमारी आज़ादी न छेड़ना सरकार का काम।
सुरक्षित रहें हम यह सदा रहती है चाहत
सुरक्षा का जिम्मा अकेले सरकार का काम।
– योगेन्द्र जोशी
जुलाई 13, 2017 at 4:30 अपराह्न
Reblogged this on इंडिया बनाम भारत.
जुलाई 13, 2017 at 9:06 अपराह्न
धन्यवाद आपको मैंने आज तक बहुत कविताएं पड़ी है लेकिन आज की आपकी इस कविता में मुझे भाव विभोर कर दिया है आपको इतनी प्यारी सुंदर जागरूक करने वाली कविताएं लिखने के लिए कोटि कोटि नमन
सितम्बर 26, 2017 at 8:31 पूर्वाह्न
वाह बहुत खूबसूरत रचना